Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -28-Jan-2024

गीतिका
समांत -अलते 
पदांत- रहो

राही हर क्षण चलते रहो।
दुखद ऋतु को बदलते रहो।।

 अर्जुन बनकर साधो लक्ष्य,
 हृदय आस बन पलते रहो।

 माना दुष्कर बनना भानु,
 रवि सम उगते ढलते रहो।

छँट जाएगी तम की रेख,
दीपक बनकर जलते रहो।

तज दो प्राणी धन का मोह,
क्यों इस मन को छलते रहो।

दीन- हीन के आँसू देख,
मानव नित्य पिंघलते रहो।

 अविचल हो मन जैसे शैल, 
बर्फ़ बने क्यों गलते रहो।

तन-मन में तुम घोलो प्रीति,
नफरत देख संभलते रहो।

प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश

   17
4 Comments

Sushi saxena

29-Jan-2024 01:12 PM

V nice

Reply

Mohammed urooj khan

29-Jan-2024 01:03 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

Reply

Alka jain

29-Jan-2024 12:19 PM

Nice

Reply